Tuesday, January 8, 2013

Kuchh to...

कुछ तो

कुछ तो यह दिल तनहा है
कुछ तो यह आंख नम है
यूँ तो बहुत लोग हैं पास
इस दिल को सिर्फ तेरी है आस

हाथ में ले के तुम्हारा हाथ
कुछ पल हम चले थे साथ
चलते चलते वो राहें बदलीं
कुछ मैं बदला कुछ तुम बदलीं
भूल जायेंगे तुम्हें थी यह आस
भुला ना पाया तेरे स्पर्श का एहसास

ना चाहते तुम्हें तो कैसा होता
इस दिल का आलम खुशनुमा होता
तुझे पा कर खोने का दर्द न होता
तेरे आंसुओं के क़र्ज़ का भार न होता

ऐसा होता तो शायद सुकून होता
तेरी यादें ना होतीं
मैं तनहा ना होता
परन्तु यह दिल तनहा है
और यह आँख नम है
तुझे अपना ना पाया
इसका मुझे ग़म है

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